Monday, March 12, 2012

पहली बाइक यात्रा भाग 1 - देल्ली से कोट्द्वार सड़क विवरण - मंदिर दर्शन

14 फरवरी का दिन था जो की मेरे लिए ख़ास होता है, वजह valentine day नहीं है, यह दिन मेरे लिए ख़ास है क्युकी इस दिन मैं और मेरी वाइफ पहली बार मिले थे! और इस साल इस दिन वो अपने घर गयी हुयी थी अपने भाई की शादी में! सो मैंने उस दिन बाइक उठाई और निकल पड़ा इस ख़ास दिन की ख़ास वजह से मिलने!
पहली बार बाइक पे जाना था तो रूट भी कुच्छ अलग चुना -
फरीदाबाद >> देल्ली >> गाजिआबाद >> मेरठ >> मवाना बाई-पास >> मीरापुर >> बिजनौर >> नजीबाबाद >> कोटद्वार 
कोटद्वार >> नजीबाबाद >> चांदपुर >> गज्रौल्ला >> गढ़ मुक्तेश्वर >> पिलखुआ >> देल्ली >> फरीदाबाद 

ऑफिस से हाफ डे लिया, और गाजिआबाद आधे घंटे में पहुच गया! मेरे पास CB Twister है, 110 CC, अच्छी pick-up, दो पहिये वाहन को ज्यादा तेज़ चलाना मैं पसंद नहीं करता, सो 80 की रफ़्तार काफी थी, ज्यादा ट्राफिक नहीं था सो देल्ली से डेढ़ घंटे में मैं मेरठ के बाई-पास पहुच गया! रास्ते में मोदीनगर के आस पास सड़क कही कही खराब मिली, बाकि तो ठीक ही थी! मवाना की तरफ जाने के लिए मेरठ शहर से न होते हुए मैंने हरिद्वार के लिए बाई-पास वाली रोड पकड़ी और तीसरे फ्लाई ओवर के निचे से सीधे हाथ को मेरठ केंट की ओर मुड गया, फिर मेरठ के गंगा नगर इलाके से होते हुए मवाना रोड पे पहुच गया! इस रस्ते से मुझे मेरठ बस अड्डे और बेघुम पुल जाने की जरुरत नहीं पड़ी जोकि भीड़ भाड़ वाला इलाका है, सो समय भी काफी बच गया! मवाना रोड पे पहुच कर मैंने पहला स्टॉप लिया और एक Thumbs-up पी!
5 मिनट से ज्यादा नहीं रुका होऊंगा, फिर बाइक उठाई और कुच्छ ही मिनटों में मवाना बाई-पास रोड पे था, फिर ध्यान आया एक फोटो लेने का, यहाँ से बिजनौर 48 किलो मीटर था!



मवाना बाई-पास ख़तम होने तक यह 41 km ही शेष बचा था!


बिजनौर जाते हुए रस्ते में मीरापुर पड़ता है! यहाँ कुच्छ होटल/ढाबे हैं, जहाँ खाने पिने के लिए बस्सें रूकती हैं! एक तीरह आता है, सीद्धे रोड मुज्ज़फर नगर को जाती है जो की 31 km है वहां से, और अगर दायें हाथ को मुड जाओ तो 26 km चलके बिजनौर आ जायेगा! मैं दायें मुड गया!


दायें मुड़ते ही एक होटल दीखता है नाम है Monti millions, यहाँ रुका एक फ़ोन करना था, होटल में बागीचा बड़ा सुन्दर लगा!






बिजनौर की तरफ चलते ही मौसम और हवा में फर्क महसूस होने लगा! गंगा जी के जो दर्शन होने वाले थे! बिजनौर में दाखिल होने से पहले गंगा जी का बैराज पुल पड़ता है! यहाँ से बिजनौर 11 km और नजीबाबाद 46 km रह जाता है! इस गंगा सेतु का नाम है चौधरी  चरण सिंह मध्य गंगा बैराज! लगभग 2 मिनट यहाँ रुक कर गंगा जी को प्रणाम किया! फिर आगे बढ़ गया बिजनौर को!











बिजनौर में दाखिल होते ही लगा की पहुच गए! यहाँ काफी कुच्छ बदल गया है पहले से! अब तो एक srs multiplex भी खुल गया है यहाँ! नजीबाबाद के लिए srs के सामने से ही बायीं तरह मुड़ना पड़ता है! Valentine day था उस दिन पर इन शहरों में इस दिन का प्रभाव नहीं दिखता, न हाथो में हाथ डाले जोड़े और नाही फूलो से सजी दुकानें ही दिखी! वैसे में खुद इस दिन में विश्वास नहीं रखता, मेरे तो सब दिन मेरे अपनों के लिए हैं न की कोई एक निर्धारित दिन!
नजीबाबाद से पहले किरतपुर पड़ता है! नजीबाबाद में दाखिल होने से पहले दायीं तरह के छोटी सी नहर दिखती है, एक पेट्रोल पम्प भी है, यहाँ से कोटद्वार 27 km रह जाता है! इस नहर के साथ और पेट्रोल पुमप की बगल से एक सड़क गयी है, यह कोटद्वार के लिए बाई-पास है! मैं इसी पे हो लिया!





डेढ़ बजे दिल्ली से चला साढ़े पाँच बजे नजीबाबाद पंहुचा!. यहाँ मेरा ददिहाल भी है और मेरी ससुराल भी! मैं घर पंहुचा, थका नहीं था, पर नहाकर ताज़ा होने का मन किया! बाइक पे धुल मिटटी से नहीं बच पते हैं, पर कुच्छ भी कहो मजा पूरा आता है! मेरा इस तरह अचानक पहुचना बीवी के लिए अच्छा surprise था! फिर उस दिन की समाप्ति एक अच्छे से रेस्तरा में एक अच्छे से dinner के साथ की!
अगले दिन मेरे साले साब के साले साब आये हुए थे! बस हम तीनो ने प्रोग्राम बनाया कोटद्वार पिकनिक का! A Boyz day out. पिच्छली बार मैं जब आया था तो अपनी कार यहीं छोड़ गया था, जिसके आभाव में मुझे इस बार बाइक पे आना पड़ा था! मैंने अपनी कार ( ritz) उठाई और तीनो निकल पड़े कोटद्वार की ओर! कोटद्वार पहुचते ही हमने खाने के लिए सामन लिया और एक बड़ी कोल्ड्रिंक के साथ निकल पड़े पहाड़ो की तरफ!










कोटद्वार जाओ और सिध्बली और दुर्गा देवी मंदिर के दर्शन न करो तो क्या कोटद्वार गए! हमने भी पहले दुर्गा देवी मंदिर की और गाडी ले ली, और माता के दर्शन किये!





फिर लौटते हुए सिद्धबली मंदिर गए!




अगले भाग में आप पढ़ सकते हैं हमारें picnic के बारें में!  

Thursday, March 8, 2012

पहली बाइक यात्रा भाग 3 - देल्ली के लिए वापसी - गढ़ मुक्तेश्वर का गंगा घाट

अगली सुबह देल्ली के लिए निकलना था, और रूट पहले ही निर्धारित हो चूका था - चांदपुर, गजरोला और गढ़ मुक्तेश्वर होते हुए!
ज्यादा जल्दी नहीं निकल पाया जैसा की सोचा था, फिर भी करीब 6 बजे सुबह बाइक उठाई, और चल पड़ा नजीबाबाद से! हलकी सी ठण्ड थी सुबह, और बाइक पे तो और ज्यादा लगती है! मगर मज़ा आ रहा था, खुली सड़क, सड़क किनारे हरे भरे लहलहाते खेत! वाह! मुझे बाइक पे ही घूमना चाहिए! संदीप भैया की टोली में शामिल होना ही पड़ेगा! जो लोग संदीप भैया से वाकिफ नहीं हैं उनके लिए http://jatdevta.blogspot.in/
बिजनौर में घुसते ही सेंट मरीज़ स्कूल के सामने एक सड़क बायीं और मुडती है, इससे चांदपुर सीधे पहुच जा सकता है, बिना किसी ट्राफिक में फसे! मैं बाएँ मुड़ा और जल्दी ही चाँदपुर पहुच गया! कुछ भूख सी लगी तो एक लेस के चिप्स का हरे वाला पेकेट खरीद लिया, यह मुझे काफी पसंद है, हलकी फुलकी भूख में! मैं सफ़र में खुले खाने से अच्छा पेकेट बंद खाना पसंद करता हूँ, हाँ कोई मशहूर खाने की जगह हो या फिर मुझे यकीन हो की यहाँ का खाना मुझे बीमार नहीं करेगा, तो मैं जरुर खाता हूँ! सफ़र में ख्याल रखना अच्छी बात है, अगर घुमक्कड़ी का पूरा मजा लेना है तो!
खेर जल्दी ही मैं चांदपुर पार कर चूका था! चांदपुर तक सड़क ठीक थक ही थी! मगर चांदपुर से आगे गजरोला तक कही जगह सड़क बन रही थी या उसकी मरम्मत चल रही थी, जिसके चलते मुझे ख़राब रास्ता मिला और कुछ समय भी ज्यादा लगा! पर कुछ किलोमीटर के बाद रास्ता सही हो गया था! गजरोला से देल्ली के लिए मैं शहर के बिच से दाई ओर मुड़ा, तो देखा मस्त हाईवे था, जिसे देखते ही मैं पीछे निकला ख़राब रास्ता भूल गया! गजरोला से ये सीधी सड़क डेल्ही के अक्षरधाम मंदिर के सामने तक आती है! इस हाईवे के बारे में नैनीताल ओर मोरादाबाद जाने वाले तो परिचित होंगे ही! रेड लाइट न की बराबर ओर नॉनस्टॉप! चांदपुर के बाद मैं सीधा गढ़ मुक्तेश्वर रुका!



नेशनल हाईवे 24 पे स्थित गढ़ मुक्तेश्वर गंगा के यहाँ से गुजरने के कारण प्रसिद्ध हैं! यहाँ पर प्रति वर्ष कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मेला लगता हाई जिसमे लगभग 8 लाख श्रद्धालु आकर गंगा-स्नान करते हैं! दश्हेरा पे भी यहाँ एक बड़ा मेला लगता हैं! 



गढ़ मुक्तेश्वर का नाम मुक्तेश्वर महादेव के मंदिर के कारण पड़ा, जोकि गंगा मैया को समर्पित हैं, जिनकी पूजा यहाँ पे स्थित 4 मंदिरों में होती हैं! यह स्थान अपने 80 सती स्तंभों के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जो की प्रत्येक किसी हिन्दू विधवा के सती होने के स्थान के प्रतीक हैं! इन स्थानों पे जाने का समाय नहीं निकाल पाया पर जल्दी ही जाना चाहूँगा!










कुछ देर गढ़ मुक्तेश्वर रुक कर, गंगा जी को प्रणाम करके, बढ़ गया देल्ली की ओर! सड़क बहुत अच्छी होने के कारण जल्दी ही फरीदाबाद पहुच गया!


अब आपके सामने जल्दी ही किसी और यात्रा विवरण के साथ प्रस्तुत होता हूँ! तब तक घुमक्कड़ी जिंदाबाद!